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लाल किताब (वर्णन और ज्योतिष उपाए)

ज्योतिष जिज्ञासा
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जब भी ज्योतिष की बात होती है तब लाल किताब का जिक्र जरूर आता है। जानकारी के अनुसार की लाल किताब की रचना पिछली शताब्दी में हुई थी और यह मूल रुप से तात्कालिन समय में उत्तर भारत में प्रचलित भाषा में लिखी गई थी।चूँकि इसके लेखक ने जो किताब लिखी थी उसका जिल्द लाल रंग का था, इसलिए यह “लाल किताब” के रुप में पहचाना जाने लगा।

यह हम जानते हैं कि ग्रह मानव जीवन पर उनके पुर्व कर्मानुसार शुभ व अशुभ प्रभाव डालते हैं । ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करने के उद्देश्य से लाल किताब में काफी सिद्ध,सरल एवं सस्ते उपायों को बताए गए हैं। इसके अलावा लाल किताब के ज्योतिष सिद्धांत पाराशरी पद्धति से कुछ भिन् नहैं, जिसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे। यहाँ पर यह भी बताना उचित होगा कि लाल किताब में ग्रहों और सामुद्रिक शास्त्र को साथ में जोड़ा गया है, यानी की हाथ की लकीरों से जन्म कुंडली के ग्रहों का मिलान। इस लेख में हम लाल किताब के ग्रह ज्योतिष की बात करेंगे।

लाल किताब में लग्न या पहला घर हमेशा मेष राशि रहता है, दूसरा घर वृषभ, और तीसरा मिथुन और क्रमानुसार, इस श्रृंखला में कभी कोई बदलाव नहीं आता।

गृह दोष

अब एक उदहारण लेकर हम आपको लाल किताब के फलित ज्योतिष व उपायों से अवगत करायेंगे।

यदि सूर्यआपकी जन्म कुंडली में छठे घर (भाव या खाने ) में हो तो –
मुकदमों पर अधिक खर्च होगा, सेहत अच्छी नहीं होगी, पुत्र होने पर ही समय अनुकूल होगा।

लाल किताब में इसके लिए यह उपाय बताए गए हैं –
१. बंदरों को गुड और गेहूं खिलाना
२. अपने पास चांदी रखना
३. अपनी माँ तथा दादी के पाँव धोना

यदि चन्द्रमा आपकी जन्म कुंडली मेंअष्टम घर (भाव या खाने ) में हो तो –
पढाई के बीच में अड़चन या माता के सुख से वंचित हो जाना। उपरी आमदनी के सहारे की जरूरत महसूस करना।
लाल किताब में इसके लिए उपाय यह बताये गए हैं –
१. पूर्वजों के नाम पर अन्न दान व वस्त्र दान
२. गुड, हल्दी, लाल कपडा, बिजली से चलने वाले यन्त्र, पीतल व ताम्बे के बर्तन, ये सभी वस्तुएं मंदिर में देना

यदि बुध आपकी जन्म कुंडली में नौवें घर (भाव या खाने ) में हो तो –
जातक को अल्प आयु का भय, धोखा देने वाले साथी, बोलने में तोतलापन, और बेइज्जती का सामना करना पड़ सकता है।
लाल किताब में इसके लिए यह उपाय बताये गए हैं –
१. चांदी शरीर पर धारण करना
२. नए कपड़ों पर पानी के छींटे मार कर, फिर पहनना
३. हरे रंग का इस्तेमाल कम करना

शनि साढ़ेसाती के उपाए

लाल किताब में शनि की साढ़ेसाती के भी बहुत सरल उपाए दिए गए हैं। जन्म राशि से बारहवें, पहले और दूसरे भाव में गोचरवश शनि जब प्रवेश करता है, तब जातक की साढ़ेसाती होती है, ज्योतिष शास्त्र में ऐसे कहा गया है (आपकी जन्म कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में स्थित हो, उसे जन्म राशि कहते हैं)।

उदहारण

अगर आपका चन्द्रमा मिथुन राशि में है और अगर आपकी शनि साढ़ेसाती चल रही है तो लाल किताब में ये उपाय दिए गए हैं –
१.) पहले चरण के टोटके व उपाए
* सूखा नारियल या बादाम जल में बहायें
* शनिदेव की उपासना करें
* महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या कराएं

२.) दूसरे चरण के टोटके व उपाए
* बावड़ी में ताम्बे का पैसा डालें
* शिवलिंग पर दूध चढ़ायें
* हनुमान चालीसा का पाठ करें
* बच्चों को दो दुकानों से आम लेकर बराबर बराबर बांटे

३.) तीसरे चरण के टोटके व उपाए
* मजदूर की सेवा या पालन करें
* शराब न पीये और चाल चलन ठीक रखें
* धर्म स्थान पर नंगे पैर जाएँ
* हनुमानजी की उपासना करे

इसी तरह सभी राशियों के शनि साढ़ेसाती के उपाए लाल किताब में आप पाएंगे।

पितृ ऋण (दोष)

हमारे देश में पितृ दोष से कोई अनजान नहीं है। इसकी वजह से कई परिवारों को अशांति और तकलीफ उठानी पड़ती है और कोई सहारा नहीं मिलता।
ऐसे में लाल किताब में सभी ग्रहों से जुड़े पितृ दोष के उपाए बताएं गए हैं, जिससे हम अपनी तकलीफ को कम करने में सक्षम होते हैं।

उदहारण

सूर्य अगर आपकी कुंडली में बारहवें स्थान पर हो तो हमें ये ज्ञात होता है कि उन बच्चों का श्राप मिला है जिन बच्चों को हमने जन्म से पहले ही मार दिया ( गर्भपात)।
आपको इसका असर ऐसे मालूम होगा कि आपके घर के मुख्य द्वार के पास से बगैर किसी कारण से बार बार गन्दा पानी बहता होगा या जमा होगा।

लाल किताब में इसका उपाए दिया हुआ है –
* ब्राह्मणों से यज्ञ करवाएं और यज् ञका खर्चा परिवार में जितने लोग हैं, सब आपस में बराबर हिस्सों से योगदान करें.
* इसी प्रकार हर ग्रह से पितृ दोष का हमें कुछ अनुमान मिलता है और हमें उसके निवारण हेतु जानकारी लाल किताब में मिलती है।

मंगल दोष

हमारे समाज में प्रायः यह देखा गया है की मंगल दोष की वजह से अच्छे रिश्ते होने के बावजूद शादी में रुकावट आ जाती है और रिश्ता नहीं बन पाता। इस सन्दर्भ में भी लाल किताब से फायदा उठाया जा सकता है। (मंगल ग्रह जब जन्म कुंडली में लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, या द्वादश भाव में बैठता है, तो इसे मंगल दोष कहा जाता है )

उदाहरण

वृषभ लग्न में अगर मंगल सप्तम भाव में है तो लाल किताब में निम्नलिखित उपाए दिए हुए हैं।
* चाल चलन ठीक रखें
* सुन्दरकाण्ड का पाठ करें
* साली, मौसी, और बुआ के घर जब भी जाएँ, मिठाई लेकर जाएँ
* बहन या किसी लड़की को प्रतिदिन मीठा दें
* ताम्बे या सोने की अंगूठी में मूंगा जड़वाकर पहने

इसी तरह से हर लग्न के लिए और हर भाव में मंगल के दोष के लिए उपाए लाल किताब में बतलाएं गए हैं ।

लाल किताब में सिर्फ यही नहीं किन्तु और भी बहुत कुछ बतलाया गया है जिससे हम जीवन का स्तर बेहतर और ऊंचा बना सकते हैं तथा परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं।

भास्कर ज्योतिष
प्रख्यात ज्योतिष
गणेशास्पीक्स डॉट कॉम


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