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भारतीय ज्योतिष और राशियां

ज्योतिष जिज्ञासा
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भारतीय ज्योतिष में “राशि” काफी जाना पहचाना सा शब्द है। आज हम आपको इसी शब्द से परिचय करवाएंगे।

धरती से दिखने वाले गोलाकार आकाश में ही सब ग्रह और नक्षत्र कहीं न कहीं स्थित रहते हैं या विचरते हैं। ऐसे में अगर यह बताना हो की कौन सा ग्रह कहाँ पर स्थित है तो हमें एक मापदंड की आवश्यकता होती है। इसलिए हमने आसमान को एक नाप दे दिया है- 360 डिग्री(अंश) का । फिर इसको 12 हिस्सों में बाँट दिया गया और हर हिस्सा 30अंश का है । यह 12 हिस्से जो बने हैं इन्हीं को राशि कहा गया है । इन द्वादश राशियों को काल पुरुष का अंग भी कहा गया है ।

इन राशियों के नाम हैं मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन। आपकी जन्म कुंडली में आपको जो 12 खाने नजर आते हैं वही 12 राशियाँ हैं। उनमें नौ ग्रह कहीं न कहीं स्थित हैं, जो आपके जन्म समय पर आकाश में चलित थे, जिनका चित्रण हमें जन्मपत्री देखने से मिलता है।आपकी जन्म कुंडली में जिस राशि में चन्द्रमा विराजमान है, उस राशि को जन्म राशि कहते हैं । जो राशि लग्न में उदय होती है उसे लग्न राशि कहते हैं और जिस राशि में सूर्य विराजमान है उसे सूर्य राशि कहते है।

अब हम इन राशियों को थोडा विस्तार से जानेंगे।

1. मेष

इस राशि का स्वामी मंगल है। यह अग्नि तत्त्व का राशि है। इसकी दिशा पूर्व, रंग लाल, स्वाभाव क्रूर, उग्र, एवं प्रभाव गर्म है। इसे चर राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह मेढ़ा है ।इस राशि में सूर्य उच्च का व शनि नीच का फल देता है। जिनका लग्न मेष राशि है उनका शरीर सुगठित होता है । इस जातक में मंगल के गुण होने से जातक फुर्ती वाला होता है और क्रोधी भी होता है और जिंदगी में जल्दी हार नहीं मानता। मेष राशि चक्र की पहली राशि है, इसलिए कालपुरुष में इसका अंग सिर, अथवा माथा माना गया है । मेष राशि वाले प्राय पुलिस, सैनिक,शासक,डॉक्टर, सर्जन, लोहा सम्बंधित, इंजिनियर, भूमि संबंधित, खेलकूद आदि कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं ।

2. वृषभ

इस राशि का स्वामी शुक्र है । यह पृथ्वीतत्त्व का राशि है। इसकी दिशा दक्षिण, रंग दही जैसी सफ़ेद, और स्वाभाव सौम्य है । इसे स्थिर राशि कहते हैं ।इसका सांकेतिक चिन्ह बैल है। इस राशि में चन्द्रमा उच्च का माना जाता है । इस राशि के जातक का ललाट चौड़ा, सुगठित गर्दन और मोहक मुद्रा वाले पाए जाते हैं। वृषभ लग्न वाले खाने पीने के शौकीन, धैर्यवान, मस्त रहने वाले और बड़े प्रेमी होते हैं ।शरीर के हिस्से में इस राशि से आप चेहरा और गर्दन से देखते हैं । वृषभ राशि वाले अभिनेता, संगीतकार, होटल, गायक, सोनार, चित्रकार, फोटोग्राफी, वाहन सबंधित, फिल्म लाइन संबंधित, भोग विलास की वस्तु उत्पादन, इन कारोबारों से सफलता प्राप्त करते हैं।

3. मिथुन

इस राशि का स्वामी बुध है ।यह वायुतत्त्व का राशि है। इसकी दिशा पश्चिम,रंग हरा और स्वभाव क्रूर है। इसे द्वि स्वभाव राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह युगल पुरुष स्त्री है। इस राशि में राहू उच्च का और केतु नीच का फल देता है । इस राशि में पैदा होने वाले का रंग गेहूंआ, चेहरा गोल और दृष्टि तीक्ष्ण होती है। मिथुन लग्न वाले बुद्धिमान, ज्ञानी, अध्यनशीलऔर अच्छे वक्ता होते हैं। शरीर के हिस्से में इस राशि को श्वास प्रणाली, कान,और कंधे से देखते हैं । मिथुन राशि वाले वकील, वक्ता, शिक्षक,जज, नेता, ब्रोकर, सट्टा बाजार, सेक्रेटरी, एकाउन्ट्स, प्रेस, क्लर्क, संपादक, प्रकाशक, रिपोर्टर, प्रिंटिंग, पोस्टआफिस, सी.ऐ, लेखन, इन कारोबारों से सफलता प्राप्त करते हैं

4.कर्क

इस राशि का स्वामी चन्द्रमा है। यह जलतत्त्व राशि है। इसकी दिशा उत्तर, रंग दुधिया सफ़ेद और स्वभाव सौम्य है । इसे चर राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह केकड़ा है । इस राशि में गुरु उच्च का और मंगल नीच का माना गया है । इस राशि के जातक मध्यम आकृति, सुन्दर मुखवाले और गोरे रंग वाले वाले पाए जाते हैं । कर्क लग्न वाले परिवर्तनशील, क्रियाशील, चंचल प्रवृति,स्वंतंत्र विचार वाले और विवेकशील होते हैं ।शरीर के हिस्से में इस राशि से आप देखते हैं, मन, छाती, और खून का संचार। कर्कराशि वाले जल विभाग, तरल पदार्थों का व्यवसाय, सिंचाई, पेट्रोलियम, जल यात्रा, शिक्षा, अस्पताल, चांदी, पानी के बर्तन, दूध अथवा दूध की चीजें, पानी से सबंधित कार्य, रसदार फल, इत्यादि कारोबारों से सफलता प्राप्त करते हैं।

5. सिंह

इस राशि का स्वामी सूर्य है । यह अग्नितत्त्व राशि है । इसकी दिशा पूर्व, रंग पीत वर्ण, और स्वभाव क्रूर है। इसे स्थिर राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह सिंह है । इस राशि के जातक का शरीर सुगठित, हड्डियाँ मजबूत, और चौड़े मस्तक वाले होते हैं। सिंह लग्न वाले जातक शानदार, दबदबे व्यक्तित्व वाले होते हैं । ये निडर, स्वाभिमानी, साहसी, इरादे के पक्के, कृपालु और उच्च अभिलाषी पाए जाते हैं । शरीर के हिस्से में इस राशि से आप देखते हैं, आत्मबल, हृदय और रीढ़ की हड्डी। सिंहराशि वाले उच्च मंत्री, डिरेक्टर, सी.ई.ओ, सर्जन, मेडिकल, गवर्मेन्ट, जुआ, शेयरमार्केट आदि कारोबारों से सफलता प्राप्त करते हैं।

6. कन्या

इस राशि का स्वामी बुध है । यह राशि पृथ्वी तत्त्व है । इसकी दिशा दक्षिण, रंग हरा चितकबरा जैसा और स्वभाव सौम्य है । इसे द्वि स्वभाव राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह कुमारी कन्या है। इस राशि में शुक्र नीच का और बुध उच्च का माना जाता है । इस राशि के जातकों का रंग साफ़ एवं शरीर कोमल होता है। कन्या लग्न वाले मधुर भाषी, लज्जाशील, हास्य प्रिय और व्यंग में निपुण होते हैं। इनके अन्दर फुर्ती गजब की होती है, और यह बड़े व्यहवारिक होते हैं ।शरीर के हिस्से में इस राशि से आप देखते हैं, पेट और हाजमा । कन्याराशि वाले पत्रकार, अध्यापक, राजदूत, नर्स, ज्योतिष,औडिटर, गणित, समाचार संबंधित, वकील, दलाल, ऐजंसी, होटल, फास्टफूड, इन कारोबारों से सफलता प्राप्त करते हैं.

7. तुला

इस राशि का स्वामी शुक्र है । यह वायुतत्त्व राशि है । इसकी दिशा पश्चिम, रंग दही जैसी सफ़ेद, स्वभाव क्रूर माना गया है।इसे चर राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह तराजू है। इस राशि में सूर्य नीच का और शनि उच्च का माना जाता है । इस राशि के जातक का रंग साफ़ और वे सुन्दर होते हैं । तुला लग्न वाले दयालु, स्नेहशील, शुद्धविचार वाले होते हैं। ये बहुत सोचविचार कर व संतुलित बुद्धि से कार्य का निर्णय लेते हैं । शरीर के हिस्से में इस राशि से आप देखते हैं, गुप्तांग। तुलाराशि वाले कपड़ों का व्यापार, खूबसूरती बढानेवाले उत्पादन , हीरेजवाहरात, फूल, मिठाई, फिल्म एक्टिंग, दरजी, फैशन, डिजाईन,यौनचिकत्सक, ट्रांसपोर्ट,ब्यूटीपार्लर,इन कारोबारों से सफलता प्राप्त करते हैं।

8. वृश्चिक

इस राशि का स्वामी मंगल है । यह जल तत्त्व राशि है । इसकी दिशा उत्तर, रंग सुर्ख लाल और स्वाभाव क्रूर है । इसे स्थिर राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह बिच्छु है । इस राशि में चन्द्रमा नीच का फल देता है। इस राशि के जातकों का कद औसत, रंग सावंला व बाल घुंघराले होते हैं। वृश्चिक लग्न वाले धुन के पक्के , जोशीले व स्वतंत्र विचार वाले होते हैं। वे क्रोधी व रोबीले होते हैं । शरीर के हिस्से में इस राशि से आप देखते हैं, गुप्त इन्द्रियों का बाहरी हिस्सा। वृश्चिक राशि वाले इंजिनियर, मशीनों के काम, रसायन शास्त्र, बीमे के काम, नौसेना, डाक्टर, औजार, जमीन के नीचे होने वाले उत्पादन, इन कारोबारों से सफलता प्राप्त करते हैं।

9. धनु

इस राशि का स्वामी गुरु है । यह अग्नि तत्त्व राशि है । इसकी दिशा पूर्व, रंग पीत वर्ण, स्वभाव सौम्य, व चंचल है। इसे द्वि स्वभाव राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह धनुष बाण है । इस राशि में केतु उच्च का और राहू नीच का माना जाता है । इस राशि के जातकों का कद लम्बा और शरीर सुगठित होता है, रंग साफ गोरा तथा व्यक्तित्व शानदार होता है । धनुलग्न वालों की वाणी मधुर होती है, वाक चातुर्य में प्रवीण, बुद्धिमान, साहसी, न्यायप्रेमी और परिश्रमी होते हैं। शरीर के हिस्से में इस राशि से आप देखते हैं, पैर के ऊपरी हिस्से तथा स्नायु । धनु लग्न वाले कानून से सम्बंधित, संस्कृति विभाग, अध्यात्म से जुड़े, संस्कार केंद्र, सरकारी नौकरी, जज,
इन कारोबार से सफलता प्राप्त करते हैं।

10. मकर

इस राशि का स्वामी शनि है। यह पृथ्वीतत्त्व राशि है। इसकी दिशा दक्षिण,स्वभाव सौम्य है। इसे चर राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह मगरमच्छ है । इस राशि में मंगल उच्च का और गुरु नीच का माना गया है। इस राशि के जातक दुबले पतले व लम्बे कद के होते हैं। ये अनुशासन प्रिय,अधिक सहनशक्ति, आशावादी,आज्ञाकारी, विश्वासपात्र होते हैं। ये हर काम को काफी सोच विचार के बाद ही करते हैं। शरीर के हिस्से में इस राशि से आप देखते हैं,शरीर की हड्डियाँ विशेषकर घुटने की। मकर राशि वाले बर्फ तथा कोल्डड्रिंक, ऐसी, फ्रिज उत्पादन, लोहे की खदान, तेल के कुँए,चमड़े की चीजें बेचना,सीमेंट कारखाने, पशु वधगृह, इन कारोबारों से सफलता प्राप्त करते हैं ।

11. कुम्भ

इस राशि का स्वामी शनि है । यह वायुतत्त्व राशि है। इसकी दिशा पश्चिम, रंग स्याह, स्वाभाव उष्णतर है। इसे स्थिर राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह घड़ा है। इस राशि के जातकों का रंग साफ, कद लम्बा तथा शरीर आकर्षक होता है। कुम्भ लग्न वाले एकांत प्रिय, धैर्यवान, परिश्रमी, मजबूत इच्छा शक्तिवाले और आत्मविश्वासी होते हैं। इनका चरित्र अच्छा होता है पर स्वभाव गंभीर होता है। शरीर के हिस्से में इस राशि से आप देखते हैं, कान और पैर का मध्यम हिस्सा ।
कुम्भराशि वाले जासूसी विभाग, कर्मकांडी, वैज्ञानिक, प्रोफेसर, म्यूजियम, कम्पूटर अनुसंधान, प्रोग्रामिंग, पायलट,इन कारोबारों से सफलता प्राप्त करते हैं.

12. मीन

इस राशि का स्वामी गुरु है। यह जल तत्त्व राशि है। इसकी दिशा उत्तर, रंग भूरा पीला, और स्वभाव सौम्य है । इसे द्वि स्वभाव राशि कहते हैं। इसका सांकेतिक चिन्ह जल क्रीडा में व्यस्त दो मछलियाँ है। इस राशि में शुक्र उच्च का और बुध नीच का माना जाता है । इस राशि के जातकों का रंग साफ़ एवं मस्तक चौड़ा और कद मंझला होता है । मीन लग्न वाले ईमानदार, कल्पनाशील, एवं विलासी होते हैं । ये अपने सम्मान का बहुत ध्यान रखते हैं और दिलदार होते हैं । इनमें प्रतिशोध की भावना नहीं होती। ये दानशीलऔर मिलन सार होते हैं । शरीर के हिस्से में इस राशि से आप देखते हैं, पैर के तलवे और आँख । मीनराशि वाले अस्पताल, इम्पोर्ट, एक्सपोर्ट, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं, पासपोर्ट ऑफिस, जेल, वृद्धाश्रम संबंधित नौकरी,समुद्र से निकलने वाले पदार्थ और उत्पादन, बैंक,कोषाध्यक्ष, नौसेना, इन कारोबारों से सफलता प्राप्त करते हैं।

भास्कर ज्योतिष
प्रख्यात ज्योतिष
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