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krishna janmashtami 2013
28 अगस्त 2013 बुधवार को इस बार भगवान कृष्ण की प्राकट्य दिवस जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाएगा। द्वापर युग में श्री कृष्ण का अवतार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। उस समय चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में स्थित था। तब बुधवार तथा रोहिणी नक्षत्र था जो चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र है। इस वर्ष भी जन्माष्टमी पर ऐसा ही संयोग बन रहा है।
28 अगस्त 2013 बुधवार को रोहिणी नक्षत्र के साथ बुधवार का संयोग है। चंद्रमा उच्च राशि में स्थित है। सैकड़ों वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि जन्माष्टमी के दिन शनि उच्च का एवं राहु के साथ तुला राशि में स्थित है। ऐसा पूर्व में वर्ष 1865 में हुआ था।
यहां जानिए आपकी राशि अनुसार कुछ खास उपाय, जो आपको 28 अगस्त के दिन करने हैं। इन उपायों से आपकी पैसों से जुड़ी हुई, घर-परिवार और वैवाहिक जीवन से जुड़ी हुई सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।
krishna janmashtami 2013
इस दिन भगवान का अवतरण होने के कारण यह त्योहार व्रत, जागरण एवं भगवान की सेवा का दिन है। इस व्रत के संबंध में दो विभिन्न मत हैं। कई लोग अर्धरात्रि एवं रोहिणी नक्षत्र योग होने पर सप्तमी एवं अष्टमी का उपवास करते हैं। कई उदयव्यापिनी अष्टमी एवं रोहिणी नक्षत्र के उदय को ही व्रत हेतु प्रधानता देते हैं। कई लोग सप्तमी का व्रत उसी रात को भगवान का जन्म के साथ मनाते हैं। देशभर में इस त्योहार को पूर्ण श्रद्धा के साथ मनाया जाता है लेकिन मथुरा एवं वृंदावन में विशेष महत्व रखता है।
जन्माष्टमी को पूरे दिन व्रत करने का विधान है। प्रात: काल स्नान कर व्रत का नियम का संकल्प करना चाहिए। आम एवं अशोक वृक्ष के पत्तों से घर को सजाकर श्रीकृष्ण या शालीग्राम की मुर्ति को पंचामृत आभिषेक करवाकर पूजन करना चाहिए। पूरे दिन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करना चाहिए। भगवान के प्रसाद में अन्नरहित नैवेद्य अर्पण करें। दिन में पूजन, भजन के बाद रात्रि में ठीक 12 बजे भगवान की आरती कर जन्मोत्सव मनाया जाना चाहिए। इस दिन फलाहार करके अथवा पूर्ण निराहार रहकर व्रत किया जाता है। अपनी शक्तिनुसार यह व्रत करने वाले को विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार इसके दूसरे दिन यानि नवमी को नंदोत्सव मनाया जाना चाहिए। इस दिन भगवान पर तेल, हल्दी, कर्पूर, दधी, घी, जल तथा केसर से लोग भगवान पर विलेपन करते हैं। भजन करते है एवं खुशियां मनाते हुए मिठाइयां बांटी जाती हैं।
krishna janmashtami 2013
आगे जानिए आपको राशि अनुसार कौन-कौन से खास उपाय करने चाहिए…
– मेष: इस राशि के लोगों को गंगाजल से राधा-कृष्ण का अभिषेक करना चाहिए। दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें। दोपहर के समय माखन-मिश्री से हवन करें।
-वृषभ: पंचामृत से अभिषेक करें। पंजीरी और ऋतुफल का भोग लगाएं। श्रीराधाकृष्ण शरणम् मम मंत्र का जाप करें। कमल गट्टे से हवन करें।
– मिथुन: दूध से अभिषेक करें। पंचमेवा के साथ केले का भोग लगाएं। श्रीराधायै स्वाहा मंत्र का जाप करें। पंचमेवा से हवन करें।
– कर्क: घी से अभिषेक करें। केसर की वर्फी का भोग लगाएं। श्रीराधावल्लभाय नम: मंत्र का जाप करें। कमल पुष्पों से हवन करें।
-सिंह: गंगाजल में शहद मिलाकर अभिषेक करें। पंचामृत और गुलाब जामुन का भोग लगाएं। ऊं विष्णवे नम: मंत्र का जाप करें। माखन-मिश्री से हवन करें।
– कन्या: दूध में घी मिलाकर अभिषेक करें। पिस्ता या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। ह्रीं श्रीं राधायै स्वाहा मंत्र का जाप करें। लौंग, इलायची और मिश्री से हवन करें।
-तुला: दूध में शकर मिलाकर अभिषेक करें। माखन-मिश्री का भोग लगाएं। लीं कृष्ण लीं मंत्र का जाप करें। माखन-मिश्री से हवन करें।
-वृश्चिक: पंचामृत से अभिषेक करें। पंचमेवा का भोग लगाएं। श्रीवृंदावनेश्वरी राधायै नम: मंत्र का जाप करें। पंचमेवा में कमल गट्टे मिलाकर हवन करें।
-धनु: शहद से अभिषेक करें। ऋतुफल का भोग लगाएं। ऊं नमो नारायणाय मंत्र का जाप करें। हवन सामग्री में इत्र मिलाकर हवन करें।
– मकर: गंगाजल से अभिषेक करें। मावे की वर्फी का भोग लगाएं। ऊं लीं गोपीजनवल्लभाय नम: मंत्र का जाप करें। हवन सामग्री में शहद मिलाकर हवन करें।
-कुंभ: पंचामृत से अभिषेक करें। ऋतुफल का भोग लगाएं। इत्र अर्पित करें। ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। हवन सामग्री में काले तिल मिलाकर हवन करें।
– मीन: पंचामृत में तुलसी पत्र मिलाकर अभिषेक करें। पंचमेवा और गुलाब जामुन का भोग लगाएं। ऊं लीं गोकुलनाथाय नम: मंत्र का जाप करें। पंचमेवा या कमल पुष्पों से हवन करें।
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