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3 नवंबर की रात को दिवाली है, लेकिन अमावस्या शाम 6.21 बजे तक ही रहेगी। उदया तिथि में अमावस्या होने के कारण दिवाली इसी दिन 3 नवंबर को ही मनाई जाएगी। दीपावली पर पूजा करने का श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल में सूर्यास्त से लेकर अगले 2 घंटे और 24 मिनट तक रहेगा।
दिवाली पूजन में अमावस्या, तिथि, प्रदोष काल, स्वाति नक्षत्र, स्थिर लग्न व शुभ चौघडि़ए का खास महत्व है और इस वर्ष यह योग रहेंगे। 3 नवंबर की रात को दिवाली है, लेकिन अमावस्या शाम 6.21 बजे तक ही रहेगी। उदया तिथि में अमावस्या होने के कारण दिवाली इसी दिन 3 नवंबर को ही मनाई जाएगी। दीपावली पर पूजा करने का श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल में सूर्यास्त से लेकर अगले 2 घंटे और 24 मिनट तक रहेगा।
दिवाली पूजन में अमावस्या, तिथि, प्रदोष काल, स्वाति नक्षत्र, स्थिर लग्न व शुभ चौघडि़ए का खास महत्व है और इस वर्ष यह योग रहेंगे। इस दिन स्वाति नक्षत्र रहने के साथ ही चंद्रमा तुला राशि में स्थित रहेगा। अमावस्या तिथि शनिवार की शाम 7 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी जो कि रविवार 3 नवंबर की शाम 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। दीपावली की शाम प्रदोष काल के स्थिर लग्न लक्ष्मी पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। इसके बाद रात 9.00 से 10.30 बजे तक शुभ चौघडि़ए में पूजा की जा सकेगी। जो लोग रात्रि में लक्ष्मी पूजा करना चाहते हैं, वे लोग प्रदोष काल में ही दीपक जरूर जला लें।
दीपावली की शाम तक अमावस्या तिथि के रहते ही लक्ष्मी प्रतिमा की स्थापना करके दीपक जलाना श्रेष्ठ रहेगा। इसके बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी, लेकिन लक्ष्मी पूजा रात के शुभ मुहूर्त में भी की जा सकती है। महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए धनतेरस के दिन हल्दी और चावल को पीस लें, इसके बाद इसमें स्वच्छ जल मिलाकर लिखने लायक घोल बनाएं। इस घोल से घर के मुख्य दरवाजे पर ऊँ लिखें।
धन तेरस के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी पर सुबह-सुबह ही किसी हाथी को गन्ना या अन्य कोई फल खिलाएं। ऐसा करने पर आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी। दीपावली के दिन किसी भिखारी या गरीब व्यक्ति को अपनी श्रद्धा के अनुसार गेहूं का दान करें। दीपावली के दिनों में मुख्य द्वार के बाहर रंगोली अवश्य बनाएं।
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