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कल जरूरी है संकटमोचक की आराधना करना

ज्योतिष जिज्ञासा
ज्योतिष जिज्ञासा
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सनातन धर्म में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति श्रीहनुमान को संकटमोचक व शनिदेव दण्डाधिकारी देवता के रूप में पूजता है। दोनों ही देवताओं का शिव से संबंध भी उजागर है। श्रीहनुमान रुद्र यानी शिव अवतार हैं, तो शनिदेव ने भी शिव भक्ति से ही न्यायाधीश की शक्तियां पाई। हनुमानजी और शनि चरित्र के इन पहलुओं के अलावा शास्त्रों की कुछ खास बातें दोनों ही देवताओं के चरित्र व शक्तियों के बीच गहरे संबंध भी उजागर करती हैं।खासतौर पर शनि दोष व दशा के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए हनुमानजी की भक्ति शुभ मानी गई है। इसी कड़ी में शनिवार व प्रदोष तिथि के शनिदेव, शिव व हनुमानजी की भक्ति के दुर्लभ संयोग में तो हनुमानजी की पूजा के उपाय मंगलकारी सिद्ध होते हैं।


जानिए, 14 दिसंबर को बनने वाले ऐसे ही संयोग के लिए हनुमानजी की पूजा के 15 उपाय, जो शनि कृपा देकर सुख-सौभाग्य बरसाने वाले बताए गए हैं-हनुमानजी अखण्ड ब्रह्मचारी व महायोगी भी हैं। इसलिए सबसे जरूरी है कि उनकी किसी भी तरह की उपासना में वस्त्र से लेकर विचारों तक पावनता, ब्रह्मचर्य व इंद्रिय संयम को अपनाएं।इसी पवित्रता का ध्यान रखते हुए शनिवार-प्रदोष के संयोग में हनुमानजी की उपासना के लिए भक्त सवेरे तीर्थजल से स्नान कर यथासंभव स्वच्छ व लाल कपड़े पहने। पूजा के लिए लाल आसन पर उत्तर दिशा की तरफ मुंह रख बैठे। वहीं, हनुमानजी की मूर्ति या फिर तस्वीर सामने रखे यानी उनका मुखमण्डल दक्षिण दिशा की तरफ रखे।


शास्त्रों में हनुमानजी की भक्ति तंत्र मार्ग व सात्विक मार्ग दोनों ही तरह से बताई गई है। इसके लिए मंत्र जप भी प्रभावी माने गए हैं। भक्त जो भी तरीका अपनाए, किंतु यह बात ध्यान रखे कि मंत्र जप के दौरान उसकी आंखे हनुमानजी के नेत्रों पर टिकी रहें। यही नहीं, सात्विक तरीकों से कामनापूर्ति के लिए मंत्र जप रुद्राक्ष माला से और तंत्र मार्ग से लक्ष्य पूरा करने के लिए मूंगे की माला से मंत्र जप बड़े ही असरदार होते हैं।

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