सासांरिक नजरिए से भगवान शिव का परिवार दाम्पत्य जीवन का आदर्श और श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। इसलिए गृहस्थी से जुड़ी सारी इच्छाएं भी शिव भक्ति से शीघ्र पूरी होने वाली भी मानी गई है। इसी कड़ी में वैवाहिक जीवन की सफलता में संतान सुख भी अहम होता है। संतान सुख पति-पत्नी ही नहीं कुटुंब और रिश्तों को जोड़ता है। साथ ही संस्कार और परंपराओं को कायम रखता है।
आधुनिक दौर में जबकि पुत्र के साथ-साथ पुत्रियां भी हर क्षेत्र में सफलताओं को छू रही है, ऐसे में पुत्र-पुत्री का फर्क बेमानी ही है। फिर भी धर्म, परंपराओं और सामाजिक रस्मों के चलते आज भी पुत्र कामना हर दंपत्ति के मन में होती है। किंतु जब लंबे समय तक किसी न किसी कारण से पुत्र कामना पूरी न हो तो दाम्पत्य जीवन में तनाव और कटुता के कारण पैदा होते भी देखे जाते हैं।
यहां बताया जा रहा है शिव उपासना का एक ऐसा उपाय जो पुत्र कामना पूर्ति के साथ वंश व सौभाग्य बढ़ाने वाला होता है। शिव उपासना के विशेष दिनों मे पति-पत्नी दोनों ही इस उपाय को अपनाएं –
शिव भक्ति के किसी भी दिन यथासंभव व्रत रखें। शाम के वक्त एक समय भोजन करें या उपवास रखें।
सुबह और शाम दोनों वक्त पति-पत्नी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन शिवालय या घर पर ही शिवलिंग को पहले जलधारा अर्पित करें। जल धारा सुख और संतान देने वाली मानी गई है।
जलधारा के बाद गंध, अक्षत, सफेद चंदन, सफेद वस्त्र, पूरा नारियल, बिल्वपत्र चढाएं। साथ ही पुत्र व सौभाग्य की कामना के लिए विशेष रूप से धतूरे के फूल यथासंभव लाल डंठलवाला धतूरा चढ़ावें।
शास्त्रों के मुताबिक धतूरे के एक लाख फूल चढ़ाने का विधान है। किंतु यह संभव न हो तो भाव से प्रसन्न होने वाले महादेव को यथाशक्ति धतूरे के फूल इस मंत्र के साथ अर्पित करें –
भवाय भवनाशाय महादेवाय धीमहि।
उग्राय उग्रनाशाय शर्वाय शशिमौलिने।
पूजा के बाद पति-पत्नी दोनों शिव स्तुति, शिव मंत्र या रुद्राष्टक का पाठ करें।
शिव को मौसमी फलों, सूखे मेवों या दूध से बनी मिठायों का भोग लगाकर पुत्र कामना पूरी होने की प्रार्थना करें।
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